शरतचंद्र चट्टोपाध्याय
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय 20वीं सदी की शुरुआत के एक बंगाली उपन्यासकार और लघु कथाकार थे। उनकी अधिकांश रचनाएँ गाँव के लोगों की जीवनशैली, त्रासदी संघर्ष और बंगाल में प्रचलित समकालीन सामाजिक प्रथाओं से संबंधित हैं। वह अब तक के सबसे लोकप्रिय, अनुवादित और रूपांतरित भारतीय लेखक बने हुए हैं।
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 को पश्चिम बंगाल के हुगली के एक छोटे से गाँव देबानंदपुर में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता मतिलाल और माता भुवनमोहिनी की पाँच संतानें थीं- दो बेटियाँ (अनिला और सुशीला) और तीन बेटे (शरत चंद्र, प्रभास चंद्र और प्रकाश चंद्र)। शरतचंद्र उनकी दूसरी संतान थे।
शरत चंद्र ने अनेक उपन्यास लिखे जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकान्त, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना आदि प्रमुख हैं। बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर "पथेर दावी" उपन्यास लिखा गया। पहले यह "बंग वाणी" में धारावाहिक रूप से निकाला, फिर पुस्तकाकार छपा तो तीन हजार का संस्करण तीन महीने में समाप्त हो गया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे जब्त कर लिया। शरत के उपन्यासों के कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुए हैं।
उनके कुछ उपन्यासों पर आधारित हिन्दी फिल्में भी कई बार बनी हैं। इनके उपन्यास चरित्रहीन पर आधारित 1974 में इसी नाम से फिल्म बनी थी। उसके बाद देवदास को आधार बनाकर देवदास फ़िल्म का निर्माण तीन बार हो चुका है। पहली देवदास कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत, दूसरी देवदास दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत तथा तीसरी देवदास शाहरुख़ ख़ान, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत। इसके अतिरिक्त 1974 में चरित्रहीन, परिणीता-1953 और 2005 में भी, बड़ी दीदी (1969) तथा मँझली बहन, आदि पर भी चलचित्रों के निर्माण हुए हैं।
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