ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है

क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

साहिर लुधियानवी

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Sahityalaya

एक दिन धधको नहीं, तिल-तिल जलो,
नित्य कुछ मिटते हुए बढ़ते चलो।
पूर्णता पर आ चुका जब नाश हो,
जान लो, आराध्य के तुम पास हो।
(रामधारी सिंह ‘दिनकर’)

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