ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है

क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

साहिर लुधियानवी

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Sahityalaya

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है (Allama Iqbal)

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