एक बार की बात है, चार छोटे खरगोश थे, जिनके नाम- फ्लॉप्सी, मोप्सी, कॉटन-टेल और पीटर थे।
वे अपनी मां के साथ एक बालू के टीले पर, बहुत बड़े देवदार वृक्ष की जड़ के नीचे रहते थे।
“अब, मेरे प्यारे बच्चों,” एक सुबह बूढ़ी श्रीमती खरगोश ने कहा, “तुम मैदान में या नीचे गली में जा सकते हो, लेकिन मिस्टर मैकग्रेगर के बगीचे में मत जाना । तुम्हारे पिता के साथ वहां एक दुर्घटना हो गई थी; उन्हें श्रीमती मैकग्रेगर ने मुसीबत में डाल दिया था।”
“अब, सब निकलो, और शरारत मत करना। मैं बाहर जा रही हूं।”
फिर बूढ़ी श्रीमती खरगोश एक टोकरी और अपना छाता लेकर बेकर के पास गईं। वहां उन्होंने एक ब्राउन ब्रेड और पांच किशमिश बन खरीदे।
फ्लॉप्सी, मोप्सी और कॉटनटेल जो खरगोश के अच्छे बच्चे थे, वे नीचे गली में ब्लैकबेरी को इक्ट्ठा करने के लिए चले गए;
लेकिन पीटर, जो बहुत शरारती था, सीधे मिस्टर मैकग्रेगर के बगीचे की ओर भाग गया और दरवाजे के नीचे घुस गया!
सबसे पहले उसने सलाद के पत्ते और फ्रेंच बीन्स खाए; और फिर कुछ मूलियां खाईं ;
इसके बाद बीमार महसूस होने पर, वह अजमोद की तलाश में चला गया।
लेकिन खीरे की क्यारी के अंत में, उसे मिस्टर मैकग्रेगर मिल गए। जो अपने घुटनों और हाथों के बल पर गोभी के पौधे लगा रहे थे, उसे देखते ही वह उछलकर एक सांचा लहराते हुए उसके पीछे भागे और चिल्लाये, “चोर रूक!”
पीटर बहुत अधिक डरा हुआ था ; वह पूरे बगीचे में भागता रहा, क्योंकि वह दरवाजे तक वापस जाने का रास्ता भूल चुका था।
इस दौरान उसका एक जूता गोभियों के बीच और दूसरा जूता आलूओं के बीच कहीं खो गया।
उन्हें खोने के बाद, वह अपने चारों पैरों पर दौड़ा और बड़ी तेजी से आगे बढ़ा। मुझे लगता है कि यदि वह दुर्भाग्य से करौंदे के जाल की तरफ न भागता और अपनी जैकेट के बड़े बटनों की बजह से न फंसता तो वह आसानी से बच सकता था। यह पीतल के बटनों वाली बिल्कुल नई , एक नीली जैकेट थी।
पीटर ने खुद को खोया हुआ मान लिया और खूब आंसू बहाए ; उसकी सिसकियों को कुछ मित्रवत गौरैयों ने सुन लिया, वे तुरंत उड़कर उसके पास आ गईं, और उससे कहा कि वह खुद से थोड़ा प्रयास करे।
मिस्टर मैकग्रेगर एक चलनी लेकर आए, जिसे वह पीटर के सिर पर मारना चाहते थे ; लेकिन पीटर वक़्त रहते अपनी जैकेट वहीं छोड़कर बाहर निकल आया।
और औजारों के शेड की ओर दौड़कर एक डब्बे में कूद गया। यदि उसमें अधिक पानी न होता तो वह छिपने के लिए एक बेहतरीन चीज़ थी।
मिस्टर मैकग्रेगर को पूरा यकीन था कि पीटर औजारों के शेड में ही कहीं छिपा हुआ है, शायद किसी फूलदान के नीचे हो। उसने उन्हें पलटकर बड़े ध्यान से देखना शुरू कर दिया।
तभी पीटर ने छींका-“की-च्छू!” मिस्टर मैकग्रेगर तुरंत उसके पीछे आ गए,
और पीटर पर अपना पैर रखने की कोशिश की, जो तुरंत खिड़की से बाहर कूद गया, इससे वहां रखे तीन पौधे अस्त-व्यस्त हो गए। मिस्टर मैकग्रेगर के लिए वह खिड़की बहुत छोटी थी, और पीटर के पीछे भागते-भागते वह थक गए थे। इसलिए वह अपने काम पर वापस चले गए।
पीटर आराम करने के लिए बैठ गया ; उसकी सांसें फूल रही थीं और वह डर से कांप रहा था, उसे यह बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि अब उसे किस तरफ जाना चाहिए। इसके साथ ही, वह उस डब्बे में बैठने की वजह से बहुत गीला हो गया था।
थोड़ी देर बाद वह इधर-उधर घूमने लगा, और अपने चारों तरफ देखता हुआ आगे बढ़ता रहा।
उसे वहां दीवार में एक दरवाज़ा मिला; लेकिन वह बंद था, और उसके नीचे एक खरगोश के लिए घुसने की जगह नहीं थी।
एक बूढ़ा चुहा उस पत्थर के दरवाजे की दहलीज से अन्दर और बाहर दौड़ रहा था, वह जंगल में अपने परिवार के लिए मटर और फलियां लेकर जा रहा था। पीटर ने उससे मुख्य दरवाज़े का रास्ता पूछा, लेकिन उसके मुंह में इतना बड़ा मटर था कि वह जवाब नहीं दे सका। उसने उसकी ओर केवल अपना सिर हिलाया। यह देखकर पीटर रोने लगा।
फिर उसने सीधे बगीचे की ओर रास्ता खोजने का प्रयास किया, लेकिन वह और भी उलझन में पड़ गया। जल्द ही, वह एक तालाब के पास पहुंच गया, जहां मिस्टर मैकग्रेगर अपने पानी के डब्बे भरते थे। वहां एक सफेद बिल्ली कुछ सुनहरी मछलियों को घूर रही थी। वह बिल्कुल शांत बैठी थी, लेकिन जब-तब उसकी पूंछ का सिरा फड़कने लगता था। पीटर ने सोंचा कि यही अच्छा रहेगा कि उससे कुछ बोले बिना ही आगे बढ़ा जाए ;उसने अपने चचेरे भाई, बेंजामिन बनी से बिल्लियों के बारे में सुना था।
वह औजारों के शेड की ओर वापस चला गया, लेकिन अचानक उसने अपने बहुत करीब, कुदाल की आवाज़ सुनी – स्क्र-र-रिच, स्क्रैच, स्क्रैच, स्क्रैच। पीटर झाड़ियों के नीचे भाग गया। उसे कुछ भी नहीं हुआ था, थोड़ी देर बाद वह बाहर आया और एक ठेले पर चढ़ गया, वहां से वह झांककर देखने लगा। उसने देखा कि मिस्टर मैकग्रेगर प्याज की निराई कर रहे हैं। उनकी पीठ पीटर की तरफ थी, और दरवाजा उनके पीछे ही था!
पीटर चुपचाप ठेले से उतरा और काले करंट की झाड़ियों के पीछे से बिल्कुल सीधा, जितना तेज हो सकता था, उतनी तेज दौड़ा।
मिस्टर मैकग्रेगर ने उसे कोने पर देखा, लेकिन पीटर ने इसकी परवाह नहीं की। वह दरवाजे के नीचे फिसला, और आखिरकार बगीचे से बाहर सही-सलामत जंगल में पहुंच गया।
मिस्टर मैकग्रेगर ने काली चिड़ियों को डराने के लिए उसकी जैकेट और जूतों से बिजूका बनाकर लटका दिया।
पीटर जब तक बड़े से देवदार वृक्ष के पास अपने घर नहीं पहुंच गया, तब तक उसने न तो दौड़ना बंद किया और न ही पीछे मुड़कर देखा।
वह इतना थक गया था कि बिल के फर्श पर जो मुलायम रेत थी उसी पर लेट गया और अपनी आंखें बंद कर लीं। उसकी मां खाना बनाने में व्यस्त थी। उसे आश्चर्य हुआ कि आखिर उसने अपने कपड़ों के साथ क्या किया।
पिछले दो सप्ताह में यह दूसरा जैकेट और जूतों का जोड़ा था, जिसे पीटर ने खोया था।
मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है कि शाम के समय पीटर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
उसकी मां ने उसे बिस्तर पर लिटाया, और कैमोमाइल का काढ़ा बनाया ; फिर एक खुराक पीटर को पीने के लिए दी।
और कहा “एक चम्मच रात को सोने से पहले लेना है।”
वहीं फ्लॉप्सी, मोप्सी और कॉटनटेल ने रात के खाने में ब्रेड, दूध और ब्लैकबेरी खाए।