प्रत्येक दोपहरी को, जैसे ही बच्चे स्कूल से आते थे, वे सभी राक्षस के बगीचे में जाकर खेलते थे।
यह एक बहुत बड़ा और प्यारा बगीचा था, जिसमें मुलायम हरी घास थी। घास पर यहां-वहां सितारों जैसे सुन्दर फूल लगे हुए थे, वहां बारह आड़ू के वृक्ष भी थे, जो वसंत ऋतु में गुलाबी और मोती के समान सफेद फूलों से खिल उठते थे और शरद ऋतु में उनपर खूब फल लगते थे। पक्षी वृक्षों पर बैठकर इतना मधुर गीत गाते थे कि बच्चे उन्हें सुनने के लिए अपना खेल रोक देते थे। “हम लोग यहां कितने खुश हैं!” वे एक-दूसरे से कहते थे।
एक दिन राक्षस वापस आ गया। वह अपने मित्र कॉर्निस राक्षस से मिलने गया था, और उसके साथ सात वर्षों तक रहा। सात वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद उसने सोंचा कि वह अपने मित्र से जो कुछ कहने आया था, वह सब कह चुका, अब उसकी बातचीत बहुत सीमित हो गई थी, अतः उसने अपने महल में लौटने का निश्चय किया। जब वह वापस आया, तब उसने देखा कि बच्चे उसके बगीचे में खेल रहे हैं।
“तुम लोग यहां क्या कर रहे हो ?” वह बड़े ही कर्कश स्वर में चिल्लाया, और बच्चे भाग गए।
“मेरा बगीचा, मेरा बगीचा है”, राक्षस ने कहा; “कोई भी इसे समझ सकता है, और मैं अपने अलावा किसी को भी इसमें खेलने की अनुमति नहीं दूंगा।” इसलिए उसने उसके चारों ओर एक दीवार उठा दी, और वहां एक नोटिस बोर्ड लगाया।
अतिक्रमण करने वालों पर मुकदमा चलाया जाएगा।
वह बहुत स्वार्थी राक्षस था।
अब बेचारे बच्चों के पास खेलने के लिए कोई जगह नहीं थी। उन्होंने सड़क पर खेलने की कोशिश की, लेकिन वह कंकड़-पत्थर और धूल से इतनी भरी हुई थी कि उन्हें वहां खेलना अच्छा नहीं लगा। स्कूल की छुट्टी के बाद वे सब उस ऊंची दीवार के चारों तरफ चक्कर लगाते थे, और अंदर के खूबसूरत बगीचे के बारे में बातें करते थे। “हम लोग वहां कितने खुश थे,” उन्होंने एक दूसरे से कहा।
फिर वसंत ऋतु आई, और पूरे देश में हर कहीं छोटी कलियां और नन्हीं चिड़ियां दिखने लगीं। केवल स्वार्थी राक्षस के बगीचे में ही अब तक शिशिर ऋतु थी। चिड़ियां उसमें गाना नहीं चाहती थीं, क्यों कि वहां बच्चे नहीं थे, और किसी भी वृक्ष पर नई कोपलें नहीं फूटीं। एक दिन घास में से एक सुंदर फूल ने अपना सिर बाहर निकाला, लेकिन जब उसने नोटिस-बोर्ड देखा तो वह बच्चों के बारे में सोंचकर बड़ा दुखी हुआ और फिर से जमीन में जाकर सो गया। उस जगह पर सिर्फ बर्फ और पाला ही खुश नज़र आ रहे थे। “वसंत इस बगीचे को भूल गया है,” वे चिल्लाए, “इसलिए पूरे साल हम यहां रहेंगे।” बर्फ ने अपनी सफेद चादर से घास को ढक दिया, और पाले ने सभी वृक्षों को चांदी रंग से रंग दिया। फिर उन्होंने उत्तरी हवा को अपने साथ रहने के लिए आमंत्रित किया, और वह भी वहां आ गई। फरों से लिपटी वह हवा दिन भर बगीचे में दहाड़ती रहती। उसने चिमनी पर लगे बर्तन को नीचे गिरा दिया।
“यह बहुत ही रमणीय स्थान है”, उसने कहा, “हमें यहां ओलों को भी बुलाना चाहिए।” और फिर ओले भी आ गए। हर दिन वे महल की छत पर तीन घंटे तक तब तक गिरते रहे, जब तक छत की अधिकांश स्लेटें टूट नहीं गईं, और फिर गोल-गोल घूमते हुए जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी बगीचे में चले गए। उन्होंने ग्रे कलर की पोशाकें पहनी हुई थीं, और उनकी सांसें बिल्कुल बर्फ की तरह थीं।
स्वार्थी राक्षस ने खिड़की पर बैठकर अपने ठंडे सफेद बगीचे को देखते हुए कहा, “मुझे समझ में नहीं आ रहा कि वसंत आने में इतनी देर क्यों हो रही है; लेकिन मुझे उम्मीद है कि मौसम ज़रूर बदलेगा।”
लेकिन फिर कभी न तो वसंत ऋतु आई और न ही गर्मी। शरद ऋतु ने सभी बगीचों को सुनहरे फलों से सजा दिया, परंतु राक्षस के बगीचे में कुछ भी नहीं था। “वह बहुत स्वार्थी है,” उसने कहा। इसलिए वहां सदैव शिशिर ऋतु ही बनी रही, और उत्तरी हवा, ओले, पाला और बर्फ वृक्षों पर नाचते रहे।
एक सुबह जब राक्षस बिस्तर पर लेटा हुआ था, तब उसे बड़ा ही मधुर संगीत सुनाई दिया। जिसे सुनकर वह मंत्र मुग्ध हो गया। उसने सोंचा कि यह ज़रूर राजा के संगीतकार होंगे, जो उसके महल के पास से निकले होंगे। लेकिन वास्तव में यह एक छोटी सी लिनेट चिड़िया थी, जो उसकी खिड़की के बाहर बैठी गा रही थी, उसने बहुत दिनों से अपने बगीचे में किसी चिड़िया को गाते नहीं सुना था, इसलिए यह उसे दुनिया का सबसे सुंदर संगीत लग रहा था। अब ओलों ने उसके सिर पर नाचना और उत्तरी हवा ने गरजना बंद कर दिया। उसे अपनी खुली खिड़की से एक स्वादिस्ट सुगंध महसूस हुई। “मुझे पूरा विश्वास है कि वसंत आ गया है,” राक्षस ने कहा; और वह बेड से कूदकर बाहर देखने लगा।
और उसने क्या देखा ?
उसने बड़ा ही अद्भुत दृश्य देखा। दीवार में एक छोटे से छेंद से बच्चे अंदर घुस आए , और वे वृक्षों की शाखाओं पर बैठे थे। प्रत्येक वृक्ष पर जिसे वह देख सकता था, एक छोटा बच्चा था। वृक्ष बच्चों को वापस देखकर इतना खुश थे कि उन्होंने खुद को फूलों से ढक लिया, और बच्चों के सिर पर धीरे-धीरे अपनी बाहें फेरने लगे। पक्षी उड़ते हुए खुशी से चहचहा रहे थे। हरी-हरी घास के बीच फूल ऊपर देखकर हंस रहे थे। यह बड़ा ही प्यारा दृश्य था। लेकिन बगीचे के एक कोने में अभी भी शिशिर ऋतु का प्रभाव था। यह बगीचे में बड़ी दूर एक कोना था, जिसमें एक छोटा लड़का खड़ा था। वह इतना छोटा था कि वृक्ष की शाखाओं तक नहीं पहुंच सकता था, इसलिए वह बुरी तरह रोता हुआ वृक्ष के चारों ओर घूम रहा था। यह वृक्ष अभी भी पाले और बर्फ से ढका हुआ था, और उत्तरी हवा उसके ऊपर से बहती हुई गर्जना कर रही थी। “चढ़ो! छोटे बच्चे,” वृक्ष ने कहा, और उसने अपनी शाखाओं को जितना हो सकता था, उतना नीचे झुका दिया; लेकिन लड़का बहुत छोटा था।
यह सब देखकर राक्षस का हृदय पिघल गया। “मैं कितना स्वार्थी था !” उसने कहा; “अब मुझे पता चला कि वसंत ऋतु यहां क्यों नहीं आ रही थी। मैं उस छोटे बच्चे को वृक्ष की शाखाओं पर बैठा दूंगा, और फिर मैं इस दीवार को गिरा दूंगा, ताकि मेरा यह बगीचा हमेशा के लिए बच्चों के खेल का स्थान बन जाए। ” उसे अपने किए पर वाकई बहुत पछतावा हुआ।
वह सीढ़ियों से उतरकर नीचे आया और धीरे से सामने वाला दरवाज़ा खोलकर बगीचे में चला गया। जब बच्चों ने उसे देखा तो वे सब डरकर भाग गए, और बगीचे में फिर से शिशिर का प्रभाव दिखने लगा। लेकिन छोटा बच्चा नहीं भागा, क्योंकि उसकी आंखें आंसुओं से इतनी भरी हुई थीं कि वह राक्षस को आता हुआ नहीं देख पाया। राक्षस चुपके से उसके पीछे आया और अपने हाथों से उसे उठाकर वृक्ष पर चढ़ा दिया। इसके बाद वृक्ष क्षण भर में फलों से भर गया, और पक्षी उस पर आकर गाने लगे, और छोटे लड़के ने अपनी दोनों बाहें फैलाकर राक्षस की गर्दन में डालकर उसे चूम लिया। जब दूसरे बच्चों ने देखा कि राक्षस अब बदल गया है, तब वे भी बगीचे की ओर भागे और उनके साथ वसंत ऋतु भी आ गई। “अब यह तुम्हारा बगीचा है, छोटे बच्चों,” राक्षस ने कहा और उसने एक बड़ी सी कुल्हाड़ी उठाकर दीवार को गिरा दिया। बारह बजे के करीब जब लोग बाजार जा रहे थे, तब उन्होंने अब तक के सबसे खूबसूरत बगीचे में राक्षस को बच्चों के साथ खेलते हुए देखा।
वे दिन भर खेलते रहे और शाम को राक्षस के पास विदा लेने के लिए आए।
“तुम्हारा छोटा साथी कहां है ?” उसने पूछा, “वह लड़का जिसे मैंने वृक्ष पर चढ़ाया था।” राक्षस को वह सबसे अधिक प्रिय था, क्योंकि उसने उसे चूमा था।
“हमें नहीं पता,” बच्चों ने उत्तर दिया; “वह शायद चला गया है।”
“तुम लोग उससे कल यहां ज़रूर आने के लिए कह देना,” राक्षस ने कहा। लेकिन बच्चों ने कहा कि उन्हें नहीं पता है कि वह कहां रहता है और इससे पहले उन्होंने उसे कभी नहीं देखा ; यह सुनकर राक्षस दुखी हो गया।
प्रत्येक दोपहरी को, जब स्कूल की छुट्टी हो जाती थी, बच्चे वहां आकर राक्षस के साथ खेलते थे। लेकिन वह छोटा लड़का जो राक्षस को प्रिय था फिर कभी भी वहां नहीं दिखा। राक्षस सभी बच्चों के प्रति बहुत दयालू था, फिर भी वह अपने पहले छोटे दोस्त को देखने के लिए तरसता था, और जब-तब उसके बारे में बातें करता था। “उसे देखने के लिए मैं कितना व्याकुल हूं” वह अक्सर कहा करता था।
कई वर्ष बीत गए, राक्षस बहुत वृद्ध और कमज़ोर हो गया। उसमें अब चलने-फिरने की शक्ति नहीं रही। इसलिए वह एक बड़ी सी आराम कुर्सी पर बैठकर, बच्चों को खेलते हुए देखता और अपने बगीचे की प्रशंसा करता। वह कहता “मेरे बगीचे में बहुत सारे सुंदर फूल हैं, लेकिन उनमें सबसे सुंदर फूल बच्चे ही हैं।”
शिशिर की एक सुबह, जब वह कपड़े पहन रहा था, तब उसने खिड़की से बाहर देखा। अब उसे शिशिर ऋतु से नफरत नहीं थी, क्योंकि वह जानता था कि बस वसंत ऋतु अभी सो रही है और फूल आराम कर रहे हैं।
अचानक उसने आश्चर्यचकित होकर आंखों को मला और देखता रह गया। यह वास्तव में एक अद्भुत दृश्य था। दूर बगीचे के एक कोने में एक वृक्ष सुंदर, सफेद फूलों से ढका हुआ था। उसकी सभी शाखाएं सुनहरी थीं, और उनमें चांदी के फल लटक रहे थे। उसी के नीचे वही छोटा बच्चा खड़ा था, जो उसे प्रिय था।
खुशी से झूमते हुए राक्षस नीचे की ओर भागा और बगीचे में चला गया। वह बड़ी तेजी से घास को पार करते हुए बच्चे के पास आया। जब वह उसके बिल्कुल करीब आ गया तब अचानक उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उसने कहा, “तुम्हें घायल करने की हिम्मत किसने की ?” क्योंकि बच्चे की हथेलियों पर दो कीलों के निशान थे और दो कीलों के निशान उसके छोटे-छोटे पैरों पर भी थे।
“तुम्हें घायल करने की हिम्मत किसने की ?” राक्षस चिल्लाया ; “मुझे बताओ, ताकि अपनी तलवार से मैं उसे मार सकूं।”
“किसी ने नहीं, यह तो प्यार के घाव हैं।” बच्चे ने उत्तर दिया।
“तुम कौन हो ?” राक्षस ने पूछा, और उसे एक अजीब से डर ने जकड़ लिया। वह उस छोटे लड़के के सामने घुटनों के बल बैठ गया।
राक्षस को देखकर बच्चा मुस्कुराया और उससे बोला; “तुमने एक बार मुझे अपने बगीचे में खेलने दिया, आज मैं तुम्हें अपने साथ अपने बगीचे में ले चलूंगा, जो स्वर्ग है।
और उस दोपहरी को जब बच्चे वहां खेलने के लिए आए, उन्होंने देखा कि राक्षस वृक्ष के नीचे मरा हुआ पड़ा है और उसका पूरा शरीर सफेद फूलों से ढका हुआ है।